Saturday, October 24, 2009

ख़ुद से बढ़ कर कोई दुनिया में हमसफ़र नही होता

यहाँ ठोकर देने वाला हैर पत्थर नही होता
क्यूं ज़िंदगी की मुश्क़िलो से हारे बैठे हो
इसके बिना कोई मंज़िल, कोई सफ़र नही होता
कोई तेरे साथ नही है तो भी ग़म ना कर
ख़ुद से बढ़ कर कोई दुनिया में हमसफ़र नही होता

- Nitin K
http://nitinkblog.blogspot.com/

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