Sunday, August 25, 2019

रुख्मिनी और राधिका

कभी सूरदास ने एक स्वप्न देखा था, कि रुख्मिनी और राधिका मिली हैं और एक दूजे पर निछावर हुई जा रही हैं।

      सोचता हूँ, कैसा होगा वह क्षण जब दोनों ठकुरानियाँ मिली होंगी। दोनों ने प्रेम किया था। एक ने बालक कन्हैया से, दूसरे ने राजनीतिज्ञ कृष्ण से। एक को अपनी मनमोहक बातों के जाल में फँसा लेने वाला कन्हैया मिला था, और दूसरे को मिले थे सुदर्शन चक्र धारी, महायोद्धा कृष्ण।

      कृष्ण राधिका के बाल सखा थे, पर राधिका का दुर्भाग्य था कि उन्होंने कृष्ण को तात्कालिक विश्व की महाशक्ति बनते नहीं देखा। राधिका को न महाभारत के कुचक्र जाल को सुलझाते चतुर कृष्ण मिले, न पौंड्रक-शिशुपाल का वध करते बाहुबली कृष्ण मिले।

      रुख्मिनी कृष्ण की पत्नी थीं, महारानी थीं, पर उन्होंने कृष्ण की वह लीला नहीं देखी जिसके लिए विश्व कृष्ण को स्मरण रखता है। उन्होंने न माखन चोर को देखा, न गौ-चरवाहे को। उनके हिस्से में न बाँसुरी आयी, न माखन।

      कितनी अद्भुत लीला है, राधिका के लिए कृष्ण कन्हैया था, रुख्मिनी के लिए कन्हैया कृष्ण थे। पत्नी होने के बाद भी रुख्मिनी को कृष्ण उतने नहीं मिले कि वे उन्हें "तुम" कह पातीं। आप से तुम तक की इस यात्रा को पूरा कर लेना ही प्रेम का चरम पा लेना है। रुख्मिनी कभी यह यात्रा पूरी नहीं कर सकीं।

     राधिका की यात्रा प्रारम्भ ही 'तुम' से हुई थीं। उन्होंने प्रारम्भ ही "चरम" से किया था। शायद तभी उन्हें कृष्ण नहीं मिले।
     कितना अजीब है न! कृष्ण जिसे नहीं मिले, युगों युगों से आजतक उसी के हैं, और जिसे मिले उसे मिले ही नहीं।

     तभी कहता हूँ, कृष्ण को पाने का प्रयास मत कीजिये। पाने का प्रयास कीजियेगा तो कभी नहीं मिलेंगे। बस प्रेम कर के छोड़ दीजिए, जीवन भर साथ निभाएंगे कृष्ण। कृष्ण इस सृष्टि के सबसे अच्छे मित्र हैं। राधिका हों या सुदामा, कृष्ण ने मित्रता निभाई तो ऐसी निभाई कि इतिहास बन गया

      राधा और रुख्मिनी जब मिली होंगी तो रुख्मिनी राधा के वस्त्रों में माखन की गंध ढूंढती होंगी, और राधा ने रुख्मिनी के आभूषणों में कृष्ण का बैभव तलाशा होगा। कौन जाने मिला भी या नहीं। सबकुछ कहाँ मिलता है मनुष्य को... कुछ न कुछ तो छूटता ही रहता है।

      जितनी चीज़ें कृष्ण से छूटीं उतनी तो किसी से नहीं छूटीं। कृष्ण से उनकी माँ छूटी, पिता छूटे, फिर जो नंद-यशोदा मिले वे भी छूटे। संगी-साथी छूटे। राधा छूटीं। गोकुल छूटा, फिर मथुरा छूटी। कृष्ण से जीवन भर कुछ न कुछ छूटता ही रहा। कृष्ण जीवन भर त्याग करते रहे। हमारी आज की पीढ़ी जो कुछ भी छूटने पर टूटने लगती है, उसे कृष्ण को गुरु बना लेना चाहिए। जो कृष्ण को समझ लेगा वह कभी अवसाद में नहीं जाएगा। कृष्ण आनंद के देवता है। कुछ छूटने पर भी कैसे खुश रहा जा सकता है, यह कृष्ण से अच्छा कोई सिखा ही नहीं सकता। महागुरु था मेरा कन्हैया...

      इस सृष्टि के सबसे प्यारे मनुष्य का जन्मदिवस है न आज! खुश होइए, आज का दिन खुश होने के लिए ही है। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन खुश रहना ही व्रत है। आप सबको श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की ढेरों शुभकामनाएं। मस्त रहें सब, धर्म की जय हो।

Radhey- Krishna

Thursday, August 22, 2019

Android branding: No more desserts in code name

Android branding: No more desserts in code name :)

- New logo: new font, color, and only robot head instead of the complete robot.
- No version names, only numbers going forward.
- So, Android Q is Android 10
- Might release final bundle of Android 10 this Monday.


#Google #Android #Android10

Friday, February 15, 2019

Jai Hind!

We both left home at 18.
You cleared JEE,
I got recommended.
You got IIT,
I got NDA.
You pursued your degree,
I had the toughest training.
Your day started at 7 and ended at 5,
Mine started at 4 till 9 and
Some nights also included.
You had your convocation ceremony,
I had my POP.
Best company took you and
Best package was awarded,
I was ordered to join my paltan
With 2 stars piped on my shoulders.
You got a job,
I got a way of life.
Every eve you got to see your family,
I just wished i got to see my parents soon.
You celebrated festivals with lights and music,
I celebrated with my comrade in bunkers.
We both married,
Your wife got to see you everyday,
My wife just wished i was alive.
You were sent to business trips,
I was sent on line of control.
We both returned,
Both wives couldn't control their tears, but
You wiped her but,
I couldn't.
You hugged her but,
I couldn't.
Because I was lying in the coffin,
With medals on my chest and,
Coffin wrapped with tricolour.
My way of life ended,
Yours continued.
We both left home at 18.

- Shared by Advit Verma,
Army Public School, Ambala Cantonment

Monday, February 11, 2019

Amritsar Vlog by NitinKClicks | Spiritual, Harmandir Sahib, Golden Templ...