एक बार भगवान श्रीराम ने हनुमानजी से कहाः "हनुमान ! यदि तुम मुझसे कुछ माँगते तो मेरे मन को बहुत संतोष होता। आज तो हमसे कुछ अवश्य माँग लो।"
तब हनुमान जी ने हाथ जोड़ कर प्रार्थना कीःक स्नेहो मे परमो राजंस्त्वयि तिष्ठतु नित्यदा। भक्तिश्च नियता वीर भावो नान्यत्र गच्छतु।।
श्रीराजराजेन्द्र प्रभो ! मेरा परम स्नेह नित्य ही आपके श्रीपाद-पद्मों में प्रतिष्ठित रहे। हे श्रीरघुवीर ! आपमें ही मेरी अविचल भक्ति बनी रहे। आपके अतिरिक्त और कहीं मेरा आंतरिक अनुराग न हो। कृपया यही वरदान दें।
आप सभी को हनुमान जन्मोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएँ।।
तब हनुमान जी ने हाथ जोड़ कर प्रार्थना कीःक स्नेहो मे परमो राजंस्त्वयि तिष्ठतु नित्यदा। भक्तिश्च नियता वीर भावो नान्यत्र गच्छतु।।
श्रीराजराजेन्द्र प्रभो ! मेरा परम स्नेह नित्य ही आपके श्रीपाद-पद्मों में प्रतिष्ठित रहे। हे श्रीरघुवीर ! आपमें ही मेरी अविचल भक्ति बनी रहे। आपके अतिरिक्त और कहीं मेरा आंतरिक अनुराग न हो। कृपया यही वरदान दें।
आप सभी को हनुमान जन्मोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएँ।।